Wednesday, November 19, 2008

भगवा वेश - रक्षक या भक्षक


भारत को हमेशा से ही भगवा वेशधारी साधू -संतों और ऋषि -मुनियों का देश माना जाता रहा है. सही भी है. पहले लोग सांसारिक मोहमाया को छोड़कर भगवा वेश धारण करते थे. हर ऐशोआराम छोड़कर घास -फूस की कुटिया बनाकर रहते थे. घनी बस्ती से दूर कहीं अपना आश्रम बनाकर अपने शिष्यों और अनुयायियों के साथ रहते थे. वहाँ वो अपने शिष्यों और अनुयायियों को धर्म और संस्कृति के प्रचार -प्रसार का उपदेश देते थे. उन्हें देश और समाज की उन्नति और खुशहाली का मार्ग दिखलाते थे. और ये शिष्य ही सारे देश में घूम - घूमकर धर्मं , संस्कृति और ज्ञान का प्रचार लोगों में करते थे. जिससे देश और समाज का उद्धार हो.

अभी तक भागवावेश को सम्मानित और पवित्र माना जाता रहा है, किंतु मालेगाँव की घटना के बाद जो कुछ भी सामने आया है, वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है. आज के भगवाधारी साधू -संतों ने भगवा वेश का मतलब ही बदल दिया है. आज परिद्रश्य एकदम अलग है. आज के साधू -संत पूर्ण रूप से मोहमाया के जाल में फंसे हुए है. वे आलीशान महल जैसे आश्रमों , वातानुकूलित कारों , नौकर -चाकरों और अकूत धन -दौलत के मालिक है. ये धर्म के ठेकेदार अपने आश्रमों में आतंकवादियों को पालते हैं. आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना , उन्हें हथियार चलाना सिखाना , निर्दोष लोगों की हत्या कराना , लूटपाट कराना ही इनका पुनीत कर्तव्य है. उफ़ ! कितना घिनौना चेहरा है इस सब का.

कैसी विडम्बना है! जिनको हम संत , पवित्रात्मा और धर्मं के रक्षक मानते हैं, वे ही देश को बरबाद करने पर तुले हैं. देश को तरक्की और खुशहाली के रस्ते पर ले जाने का दंभ भरने वाले शीर्ष नेता ही उनकी तरफदारी कर रहे हैं. उनके समर्थन में मोर्चे निकाल रहे हैं. एक तरफ़ तो ये नेता आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने की बात करते हैं और दूसरी ओर ये ही आतंकवादियों का बचाव भी कर रहे हैं.

ये सब इस देश की जनता अपनी आंखों से चुपचाप देख रही है. जब रक्षक ही भक्षक बन जायेंगे तो क्या होगा ? ये सब जनता कब समझेगी ?

4 comments:

  1. धर्म के आतंक ने सबकी जबानें तालू से चिपका रखी हैं । धार्मिक होना अलग बात है और धार्मिक दिखना एकदम दूसरी बात ।
    हमारे यहां धार्मिक दिखना जरूरी है, धार्मिक होना नहीं ।
    आपने अच्‍छा प्रयास किया । साधुवाद ।

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  2. लगता है "डायरी" के नाम से ब्लॉग लिखने वाले हमेशा एकतरफ़ा ही सोचते हैं, भाई साहब थोड़ा वस्तुनिष्ठ होकर सोच लेते और दूसरा पक्ष भी देख लेते… बहरहाल आपको शुभकामनायें… ऐसे ही लिखते रहें, जल्दी से आपकी तरक्की निश्चित है…

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  3. Nice article.Do visit my blog at

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    -Salil

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  4. very nice thinking.... Keep it up...!

    Deepak

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