Thursday, February 5, 2009

बेटी

वहां काफी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। काफी शोरगुल हो रहा था। लोग अनायास ही उस ओर आकर्षित हो रहे थे। मैं भीकुछ सोचते हुए उस भीड़ में पहुँच गया। एक आदमी नीचे बेहोश लेटा था। एक अन्य आदमी उसके मुंह पर पानी के छींटे मर रहा था। सभी लोग अपनी-अपनी बातों में लगे थे। तभी किसी ने पूछा कि क्या हुआ? किसी ने उसकी बात पर गौर नही किया। उसने फ़िर से जोर से पूछा, अरे भाई इसे क्या हुआ? अचानक कोई बोला "लड़की"। चारों ओर एक सन्नाटा सा छा गया। लोग चुपचाप इधर-उधर जाने लगे।

1 comment:

  1. सौभाग्य से ऐसे आदमी हमारे घर में नहीं हैं अन्यथा बेहोश भी होते और कोई, मैं तो नहीं, पानी के छींटे भी नहीं मारता। वैसे भी ऐसे बेहोशों को होश मैं भी लाना बेकार ही है।
    घुघूती बासूती

    ReplyDelete